विशेष सुरक्षा दल की स्थापना वर्ष 1985 में प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार के निकटतम सदस्यों को आसन्न सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। उच्च नेतृत्व व्यावसायिकता तथा निकटवर्ती सुरक्षा प्रदान करना, वि.सु.द. अधिकारियों के अंतर्निहित गुण हैं एवं इन अधिकारियों को चुनौतियों का आगे बढ़कर मुकाबला करने के नैसर्गिक गुण को आत्मसात करना सिखाया जाता है। वि.सु.द. ऐसा कर पाने में इसलिए भी सफल हुई है क्योंकि उसने ना केवल अपनी कार्यप्रणाली में नवीन/अभिनव प्रयोग किए हैं अपितु आईबी, राज्य/केंद्रीय शासित बलों के साथ समग्र सुरक्षा व्यवस्था को अपनाया है। अपने अधिकारियों के उच्च नेतृत्व गुणों व्यवसायिकता तथा बुद्धिमत्ता के कारण ही संभव हुआ है कि वि.सु.द. प्रोटेक्टी (सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति) को अचूक तथा त्रुटिहीन सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है।
वि.सु.द. की स्थापना से ही इसने एक शौर्य गाथा स्थापित की है। वि.सु.द. अधिकारियों को 01 शौर्य चक्र, प्रतिष्ठित सेवा के लिए 43 राष्ट्रपति पुलिस पदक और सराहनीय सेवा के लिए 334 पुलिस पदक प्रदान किए गए हैं। साथ ही साथ वि.सु.द. को यह गौरव भी प्राप्त है कि इसके प्रथम निदेशक को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। वि.सु.द. देश में सर्वश्रेष्ठ होने मात्र से संतुष्ट नहीं है, अपितु इसका प्रयास है कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाए और इसके लिए वि.सु.द. ने अपने क्रम-विकास में नए/विशिष्ट अवस्था में प्रवेश किया है। विश्वास के साथ यह कहा जा सकता है कि वि.सु.द. पूरे विश्व में अपने प्रकार की शैली के सर्वश्रेष्ठ संगठनों में शामिल है। वि.सु.द. अधिकारियों को, यदि आवश्यक हो तो, सरकार द्वारा वि.सु.द. को सौंपे गए किसी भी पवित्र कार्य को, किसी भी कीमत पर पूर्ण करने के लिए सर्वोच्च बलिदान के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। वि.सु.द. ने 37 वर्षों का गौरवशाली इतिहास पूरा कर लिया है।
श्री सुब्रमण्यम
[1985-86]
श्री देवेंद्र सिंह
[1986-90]
श्री त्रिनाथ मिश्रा
[1990-93]
श्री एस. एन. तिवारी
[1993-94]
श्री श्यामल दत्त
[1994-97]
श्री एम. आर. रेड्डी
[1997-2000]
श्री टी. के. मित्रा
[2000-02]
श्री आर. के. दास
[2002-04]
श्री बी. वी. वांचू
[2004-11]
श्री के. दुर्गा प्रसाद
[2011-14]
श्री विवेक श्रीवास्तव
[2014-16]